Practicum:4. Use of audio/visual instructional programme and preparation of its report
प्रस्तावना : प्रस्तुत एपिसोड के माध्यम से छात्रों को यह बताया गया है कि हर एक जीव महत्वपूर्ण है, झूठा अभिमान हमें नीचे गिरा देगा, हमेशा बड़े की बात मानो। तथा इस कहानी से सदाचार के क्षेत्र में बहुत ही अच्छी एवं प्रेरणादायक सीख मिलती है जिससे कि भविष्य में विद्यार्थी कोई भी गलत कार्य करने से पहले उसके विषय में भली-भांति सोंच एवं समझ ले। और सदैव सही मार्ग में अग्रेषित हो ।
शिक्षण-अधिगम सहायक सामग्री
अध्यापन के दौरान पाठ्य सामग्री को समझाते समय शिक्षक जिन-2 सामग्रियों का प्रयोग करता है वह सहायक सामग्री कहलाती है। किन्तु आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सहायक सामग्री के संबंध में कई नवाचार हुए है जिनकी सहायता से अध्ययन को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इन सामग्रियों द्वारा सीखा ज्ञान न केवल छात्रों में उत्साह जागृत करता है वरन् सीखे हुए ज्ञान को लंबे समय तक अपने स्मृति पटल में संजोए रख सकता है। दूसरी और शिक्षक भी अपने अध्यापन के प्रति उत्साहित रहता है। परिणाम स्वरूप कक्षा का वातावरण हमेशा सकारात्मक बना रहता है।
परिभाषा -
सहायक सामग्री वह सामग्री है जो कक्षा में याअन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या. बोली गई पाठ्य सामग्री को. समझने में सहायता प्रदान करती है। -डेण्ड के अनुसार
"श्रव्य-दृश्य साधन अनुभव प्रदान करते हैं। उनके प्रयोग से वस्तुओं तथा शब्दों का संबंध सरलता से जुड़ जाता है । बालकों के समय की बचत होती है, जँहा बालकों का मनोरंजन होता है वँहा बालकों की कल्पना शक्ति तथा निरीक्षण शक्ति का भी विकास होता है।" - एडगर ब्रूस वैसल के अनुसार
कोई भी ऐसी सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उद्दीप्त किया जा सके, अथवा श्रवणेन्द्रिय संवेदनाओं के द्वारा आगे बढ़ाया जा सके वह सहायक सामग्री कहलाती है। -कार्टर ए गुड
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सहायक सामग्री वह सामग्री, उपकरण तथा युक्तियाँ हैं जिनके प्रयोग करने से विभिन्न शिक्षण परिस्थितियों में छात्रों और समूहों के मध्य प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता है।
सहायक सामग्रियों के प्रकार
- दृश्य साधन दृश्य का अर्थ है, देखने योग्य। श्यामपट्ट, चित्र, मानचित्र, मूकचित्र, चित्र विस्तारक यंत्र आदि।
- श्रव्य साधन इनका संबंध श्रवणेन्द्रिय (कानों) से होता है। रेडियो, ग्रामोफोन, टेलीफोन, टेप-रिकॉर्ड आदि।
- दृश्य श्रव्य साधन इन उपकरणों का संबंध छात्रों की आँखों एवं कानों दोनों से है। चलचित्र, नाटक, कठपुतली, टेलीविजन,स्मार्टफोन,क्षेत्र-भ्रमण , वीडियो आदि।
सहायक सामग्री के प्रयोग के उद्देश्य
- छात्रों के पाठ में प्रति रूचि जाग्रत करना।
- बालकों में तथ्यात्मक सूचनाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना।
- सीखने की गति में सुधार करना।
- छात्रों को अधिक क्रियाशील बनाना।
- अभिरूचियों पर आशानुकूल प्रभाव डालना।
- तीव्र एवं मन्द बुद्धि छात्रों को योग्यतानुसार शिक्षा देना।
- जटिल विषयों को भी सरस रूप में प्रस्तुत करना।
- बालक का ध्यान अध्ययन (पाठ) की ओर केन्द्रित करना।
- अमूर्त पदार्थों को मूर्त रूप देना।
- बालकों की निरीक्षक शक्ति का विकास करना।
सहायक सामग्री का महत्व-
शिक्षण सहायक सामग्री में वीडियो का निम्नलिखित महत्व है।
1. छात्र वास्तविक पदार्थों को देख कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
2. यह अत्यंत उपयोगी एवं स्थाई ज्ञान प्राप्त करने वाला साधन है।
3. इसके माध्यम से किसी पत्रिका एवं बुलेटिन आदि को कम समय में व अच्छी प्रकार से समझा जा सकता है।
4. इसके माध्यम से रेखाचित्र,चार्ट,मानचित्र,चित्र,मॉडल आदि को दिखाया जा सकता है।
सहायक सामग्री के रूप में वीडियो का महत्व
दृश्य-श्रव्य सामग्री
दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग छात्र और विषय सामग्री के मध्य अन्तःक्रिया को तीव्रतम गति पर लाकर छात्रों को शिक्षोन्मुखी तथा जिज्ञासु बनाती है। एक अच्छे शिक्षक के लिए विषय पर आधिपत्य अध्यापन का बहुपयोगी माध्यम है।
वीडियो एक दृश्य - श्रव्य सामग्री है। इसमें बच्चों के इन्द्रियाँ सक्रीय रहती है, जिससे बच्चों को अधिक समझ आता है । वीडियो बच्चों को समझाने का एक अच्छा माध्यम है। जिससे हम बच्चों को ठीक प्रकार समझा सकते हैं । वीडियो दृश्य श्रव्य सामग्री होनें के कारण दोनों इंद्रिया सक्रीय रहती है और विषयवस्तु अधिक समय तक स्मृति पटल में रही आती है , जिससे बच्चे को अधिक समय तक याद रहता है।
वीडियो का परिचय तथा स्क्रीन शॉट-
इस कहानी का शीर्षक कछुवा और हंस है | इस कहानी मे दो हंस और एक कछुवा परम मित्र है | एक बार की बात है ये तीनों मित्र जिस गाँव मे रहते थे वहाँ सूखा पड़ गया और पानी की बहुत ज्यादा कमी हो गयी जिस कारण से दोनों हंस मित्र दूसरे गाँव जाने के बारे मे सोंचने लगे |
जाते जाते रास्ते मे एक गाँव पड़ता है जहां पर कुछ लोग उन्हे देखकर हंस रहे थे | और चिल्ला रहे थे कि देखो देखो हंस कैसे कछुए को लिए जा रहे है
कछुए को यह देखकर गुस्सा आ गयी और उसने गुस्से से अपना मुंह खोल दिया और मुंह खोलते ही वह नीचें गिर गया और मर गया |
इसी प्रकार इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की झूटा अभिमान हमें नीचे गिरा देता है | इसी प्रकार अन्य भी कई एपिसोड है जिनका विवरण हाइपरलिंक मे दे दिया है |
वीडियो प्रदर्शन की कार्य योजना-
छात्रों को वीडियो दिखाने से पहले यह ध्यान रखा गया कि वीडियो उनके लिए रुचिकर तथा ज्ञानप्रद हो ।
वीडियो चयन करने से पहले कई वीडियो को यूट्यूब चैनल में देखना कई वीडियो देखने के बाद एक वीडियो का चयन करना।
चयन वीडियो को tubemate में डाउनलोड करना ।तथा लैपटॉप में डालना ।
वीडियो दिखाने के एक दिन पहले पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाँदा जँहा मेरी इंटरनशिप लगी हुुई थी का चयन करना।
वँहा की प्रधानाचार्या से वीडियो का महत्व बताना तथा कक्षा - 8 में वीडियो दिखाने तथा उससे संबंधित प्रश्नपत्र करवानें की अनुमति मांगना।
उसके अगले दिन कक्षा - 8 वीडियो दिखाने से पहले छात्र एवं छात्राओं को अवगत कराना।
शोरगुल रहित शांत वातावरण में वीडियो दिखाना।
लैपटॉप को ऐसी जगह रखना जँहा से सभी छात्रायों को स्पष्ट सुनाई तथा दिखाई दे ।
छात्रों को ध्यानपूर्वक वीडियो देखने को कहना तथा उनसे यह बताना कि वीडियो से संबंधित प्रश्नपत्र अगले दिन करवाया जाएगा।
उस परीक्षा में आये प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान में आने वाली बालक एवं बलिकायों को पुरस्कृत करना ।
अनुमति
पूर्व माध्यमिक विद्यालय, बड़ोखर ख़ुर्द बाँदा की प्रधानाचार्या आशा देवी जी से कक्षा - 8 में वीडियो दिखाने तथा उससे संबंधित प्रश्नपत्र करवाने के लिए अनुमति ली।
प्रधानाचार्या से वीडियो का महत्व को बताया जिससे प्रधानाचार्या ने वीडियो दिखाने तथा उससे संबंधित प्रश्नपत्र करवाने के लिए अनुमति दे दी।
वीडियो का हाइपर लिंक -
निर्देश
छात्रों को वीडियो दिखाने से पूर्व निम्न निर्देश दिए गए।
सभी छात्राएं शांतिपूर्वक वीडियो को देखेंगी।
सभी छात्राएं ध्यानपूर्वक वीडियो देखेंगी ।
वीडियो से संबंधित प्रश्नपत्र अगले दिन करवाया जायेगा।
प्रश्नपत्र का मूल्यांकन करके प्रथम , द्वतीय , तथा तृतीय को पुरस्कृत किया जाएगा।
प्रदर्शन
पूर्व माध्यमिक विद्यालय, बड़ोखर ख़ुर्द बाँदा की कक्षा-8 वीडियो दिखाया । तथा उससे संबंधित प्रश्नपत्र करवाया।
शंका समाधान
वीडियो दिखाने के बाद छात्र एवं छात्राओं की सभी शंकाओं को दूर किया तथा उनके द्वारा किये गए प्रश्नों का उत्तर दिया। (
जैसे- ये वीडियो क्यो दिखाया जा रहा है , वीडियो से क्या शिक्षा मिलेगी )
प्रश्नपत्र
छात्राओं द्वारा उत्तर दिए गए प्रश्नपत्र की फ़ोटो
अंक तालिका : इस अंक तालिका में क्रमश: प्रथम,द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रायों नामों की सूची को दर्शाया गया है।
प्रथम - कुलदीप |
द्वितीय -अंशुल ।
तृतीय - मुवीन ।
निष्कर्ष-
आज वही शिक्षक छात्रों के लिए आदर्श होता है, और उसी शिक्षक का शिक्षण आदर्श शिक्षण कहलाता है जो अपनी पाठ्य सामग्री को इन रोचक सहायक सामग्री के माध्यम से प्रस्तुत करता है। क्योंकि ये न केवल छात्रों का ध्यान केन्द्रित करती है बल्कि उन्हें उचित प्रेरणा भी देती है चाहे वह वास्तविक वस्तु हो, चित्र, चार्ट या कोई तकनीकी उपकरण सभी से छात्रों के मस्तिष्क में एक बिंब निर्माण करता है। हम कह सकते है कि वर्तमान शिक्षण के अन्तर्गत अध्यापन में नवीनता लाने के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग शिक्षक के लिए बांछनीय ही नहीं अनिवार्य भी है।दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग छात्र और विषय सामग्री के मध्य अन्तःक्रिया को तीव्रतम गति पर लाकर छात्रों को शिक्षोन्मुखी तथा जिज्ञासु बनाती है। खेद का विषय है कि हमारी शिक्षा केवल बौद्धिक विकास पर ध्यान देती है. हमारी शिक्षा शिक्षार्थी में बोध जाग्रत नहीं करती वह जिज्ञासा नहीं जगाती जो स्वयं सत्य को खोजने के लिए प्रेरित करे और आत्मज्ञान की ओर ले जाये, सही शिक्षा वही हो सकती है जो शिक्षार्थी में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित कर सके.नैतिकता मनुष्य के सम्यक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है. इसके अभाव में मानव का सामूहिक जीवन कठिन हो जाता है
शिक्षण सहायक सामग्री के रूप दिखाए गए वीडियो में दिखाया गया है कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए सही काम करने से हमें सभी जगह सम्मान मिलता है। तथा विद्यालय में अध्यापक द्वारा तारीफ तथा अन्य बच्चों का प्यार मिलता है तथा दूसरी तरफ जो बच्चें सही काम नहीं करते उनकी सभी जगह उपेक्षा तथा डॉट मिलती है।--
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